भारत में हर साल 60 हज़ार बच्चों को होता है कैंसर।
भारत में हर साल 60 हज़ार बच्चों को होता है कैंसर। भारत में वयस्क उम्र के कैंसर रोगि की संख्या पांच फीसदी है, जबकि विकसित देशों में बच्चों में कैंसर का अनुपात एक-दो प्रतिशत तक होता है। एक अच्छी बात यह है कि बच्चों में होने वाले कैंसर के 80 फीसदी मामले पूरी तरह ठीक हो जाते हैं, बशर्ते सही समय पर और अच्छा इलाज मिल जाए।
इसके लिए कैंसर के लक्षणों को समझना जरूरी है। शिशु रोग के विशेषज्ञ डॉ. अव्यक्त अग्रवाल जी का कहना है कि बच्चों में होने वाले कुछ प्रमुख कैंसर के लक्षण और इसका उपचार।
बच्चों में होती है कुछ प्रकार प्रमुख कैंसर
बच्चों में सबसे अधिक होने वाली ब्लड़ कैंसर अन्य कैंसर मे से पहले नम्बर पर है। इसमें कैंसर के प्रकार एएलएल एवं एएमएल होता है। बच्चो में अगर एएलएल का पता जल्दी चल जाए तब इसका 90 प्रतिशत तक पूर्ण इलाज संभव होता है, और अगर हम एएमएल की बात करें तो 40-50 प्रतिशत तक हीं इसका संपुर्ण इलाज संभव है।
वहीं अगर बात करें बच्चों के दूसरे स्थान पर सर्वाधिक हॉजकिन्स एंव नॉन हॉजकिन्स लिम्फोमा कैंसर परेशान करता है। यह कैंसर बच्चों के लिम्फ ग्रंथियों जैसे कि (गर्दन की ग्रंथियों) आदि में होता है।
रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर बच्चों के आंखों में सावधिर्क होता है यह किसी भी नवजात शिशु में महज एक महीने की उम्र में ही आरंभ हो सकता है। और यह कैंसर धीरे-धीरे आंखों को ख़राब करते हुए बच्चों के मस्तिष्क तक भी पहुंच जाता है।
लेकिन इसका पता जल्दी चल जाने पर बच्चों की आंखें बचाईं जा सकती हैं। इसके कैंसर के शुरुआती लक्षण को हम सभी कैट आई रिफ्लेक्स कहा जाता हैं, जिस कारण नवजात शिशु की आंखों में अंधेरे में सफ़ेद और चमकीली सा देखा जा सकता है।
बच्चों के मस्तिष्क में एक और कैंसर जिसे बिनाइन ट्यूमर होने का खतरा होता है। बच्चो के दिमाग़ में कई अलग प्रकार के कैंसर भी होते हैं। जिसकी पहचान जल्दी हो जाने पर इसका इलाज पुरी तरह संभव होता है।
बच्चों में होने वाले न्यूरोब्लास्टोमा एड्रीनल ग्लैंड एक तरह का ट्यूमर होता है। ये किडनी के सबसे ऊपरी हिस्से पर और एड्रीनल ग्रंथियां में होती हैं। बच्चों में इस प्रकार की कैंसर की भी आशंका देखने को मिली है।
बच्चों मे और एक प्रकार का कैंसर होता है जो ऑस्टियोसरकोमा और इविंग्स सरकोमा कहलाता है ये बच्चों की हड्डियों में होने वाली कैंसर है। इसका भी अगर समय रहते पता चल जाए तब इसकी इलाज पुरी तरह मुमकिन होता है।
अघ्ययन से पता चला है कि एक और प्रकार का बच्चों में पाए जाने वाला विल्म्स ट्यूमर नाम का कैंसर है जो कि बच्चों की किडनीयों में होता है। लैकिन धबराने की कोई जरूरत नहीं है अगर ऐसा कुछ लगे तो डॉक्टरो से परामर्श जरूर लें और समय से इसका पुर्ण रूपेण इलाज संभव है।